शनिवार, 27 नवंबर 2010

भारत रत्न पुरस्का्र देदो भाई

बाजार से घर का सामान लाने के लिये जेसे ही निकला की देखा चोक मे कुछ लोगो का हजुम रास्ता रोके जोर-जोर नारे लगा रहा हें? हमारी मागे पुरी करो ?समय की पुकार हें ,आरक्षण हमारा अधिकार हें? तभी देखा की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की मुर्ति के पास खडा मोटा काला खददरधारी नेता टाईप व्यक्ति भाषण दे रहा हें ? और मांग कर रहा हें की पिछडे वर्ग को भारत रत्न पुरस्कार मे पचास प्रतिशत आरक्षण दो ? जेसे तेसे भीड को चीरता हुआ बाजार से सामान ले कर घर पहुचा टी.वी पर आखों देखा हाल बताया जा रहा हें !देश मे जगह-जगह आंदोलन हों रहे हें !
सभी जाति धर्मो वाले भारत रत्न पुरस्कार मे अपने हिसे का आरक्षण लेना चाहाते हें !और इधर हमारी पत्नी जी खाना बनाने के साथ-साथ मुह ही मुह बडबडा रही हें , हम ने भी पुछ ही लिया डरते-डरते क्या हुआ जी ! तपाक से बोली
इस बार भारत रत्न पुरस्कार जरुर किसी महिला को मिलना चाहिये! क्यो भई एसा क्या कर दिया महिलाओ ने!
हा..हा..सब मर्द ही करते हे जेसे की महिलाओ का कोई योगदान ही नही हे! हम भी नारी शक्ति सघर्ष समिति की कल होने वाली मिटिग मे यह मुद्दा उठाये गे. ओर महिलाओ के लिये भारत रत्न पुरस्कार मे आरक्षण ले कर रहेगे?
मेने खाने की इन्तजार मे भुखे बेठे बच्चो की तरफ़ देखा! ओर धीमी आवाज मे बीवी से कहा भाड मे जाये ये पुरस्कार पहले अपने रत्नो को खाना तो खिलाओ ?ओर हाथ लगते टी.वी बन्द कर दिया
गुलशन खट्टर

इन्डिया मे गरीब भारत

मै हरियाणा का रहने वाला हू और पिछले दस सालों से यूरोप मे अपना स्थाई निवास बना रखा हें. सुबह की सुरूआत सारी हिन्दी अखबारों की ख़बरे पढ़ कर करता हू और जिस बात पर भारत मे ज्यादा बहस होती हें .वो हे गरीबी.

इतने विशाल ओर भू:संसाधनों से संपन भारत मे गरीबी क्यो हें ?इस का ऊतर होगा शायद भ्रष्टाचार . लेकिन ये भ्रष्टाचार किस की देन हे .राजनेताओं की, नोकरशाओ की, या आम जनता की जो हर पाच साल बाद वोट रुपी ढपा
लगा कर अपनी किस्मत उन नेताओ के हवाले कर देते हें जो हर बार गरीबी हटाएगे जेसे सपने दिखा कर गरीबी हटाने की जगह गरीबो को हटा रहे हें .कभी सुना हे की सांसदों का शाही खर्चा कम करने का बिल पास हुआ हो .जब तक पार्टियाँ सता मे रहती हें उन्हे गरीबी दिखाइ नही देती सता छि्नते ही उन के लिये गरीबी एक भयानक मुद्दा बन जाता हें,सारी कमियाँ इस भोली-भाली जनता की ही हें .जो हर बार इन राक्षस रुपी नेताओ के चगुल मे फस कर जात-पात और धर्म के नाम पर एक दुसरे को मारते काटते हें .जब तक जनता अपनी किस्मत भ्रष्ट नेताओ के हाथो सोपती रहे गी तब तक जनता को गरीबी मे ही जिना पडेगा .मुठी भर अमीरो से सारा भारत अमीर नही बन जाता .फ़िर अमीर तो बना ही गरीबो का खुन चुसने के लिये हें माफ़ करना मे लेखक नही हू जो दिल मे आया लिख दिया
गुलशन खट्टर