वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी साल 2011-2012 का बजट पेश करने की तैयारी में जी-जान से जुटे हैं। वह बताएंगे कि एक साल में सरकार कितना खर्च करेगी और उसे कितनी आमदनी होगी। पूरी उम्मीद है कि हर बार की तरह इस बार भी आमदनी से ज्यादा खर्च का ही अनुमान होगा। इस साल भी यही हुआ है और राजकोषीय घाटा (सरकार के खर्च-आमदनी का अंतर) करीब 3.८० लाख करोड़ रुपये है। पर इसमें भ्रष्टाचारियों की बहुत बड़ी भूमिका है।
देश में पिछले एक साल में सामने आए पांच बड़े घोटालों में सरकारी खजाने को जितने का चूना लगा है, वह दो साल का राजकोषीय घाटा पाटने के लिए काफी है। इन घोटालों में करीब पांच (4.82) लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है। यह रकम कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि वित्त वर्ष २०१०-११ के लिए भारत का सालाना खर्च 11.8 लाख करोड़ रुपये है। घोटाले में गंवाई गई रकम इसके आधे से थोड़ी ही कम है।
गौरतलब है कि देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद, जिसके आधार पर विकास दर तय होती है) करीब ५५ लाख करोड़ रुपये है। इस रकम का 10 फीसदी केवल उन चंद लोगों की जेब में पहुंच गया, जिन्होंने ये 5 बड़े घोटाले किए।
देश को क्या नुकसान
इन घोटालों के चलते जनता को हुए नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वित्त वर्ष २०१०-११ के लिए सर्व शिक्षा अभियान का बजट सिर्फ 15,000 करोड़ रुपये है। ग्रामीण इलाकों में हर हाथ को काम देने की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा के लिए 40,100 करोड़ रुपये, देश की बाहरी दुश्मनों से हिफाजत के लिए रक्षा बजट 1,47,344 करोड़ रुपये और स्कूलों में दोपहर के भोजन के लिए 9,300 करोड़ रुपये की रकम तय की गई थी। साफ है कि घोटाले में खोयी गई रकम से इन सभी योजनाओं को कई सालों तक चलाया जा सकता है।
सिर्फ २ जी घोटाले की रकम 1.76 लाख करोड़ रुपये से देश में क्या-क्या हो सकता है
१. दिल्ली-मुंबई-चेन्नई और कोलकाता को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क योजना में लगने वाले खर्च की चार गुना है यह रकम।
२. इतनी रकम में 30 लाख बसें खरीदी जा सकती हैं
३. नागार्जुन सागर जैसे करीब 1868 बांध बनाए जा सकते हैं।
४. 25 लाख नर्सिंग होम स्थापित किए जा सकते हैं, जिससे देश के करोड़ों लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकती हैं।
५. 30 लाख स्कूलों का निर्माण किया जा सकता है, जिससे हमारी साक्षरता दर 65 फीसदी से बढ़कर काफी ज़्यादा हो सकती है।
६. 35 करोड़ कंप्यूटर खरीदे जा सकते हैं, जिससे भारत दुनिया की आईटी राजधानी बन सकता है।
७.504 फाइटर जेट्स खरीदे जा सकते हैं, जिससे भारत का रक्षा तंत्र मजबूत हो सकता है।इन 5 घोटालों में गए 5 लाख करोड़
कॉमनवेल्थ खेल आयोजन: भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन ने 2003 में जब कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन का अधिकार हासिल किया था, तब एसोसिएशन ने 1,620 करोड़ रुपये के बजट खर्च का अंदाजा लगाया था। लेकिन 2010 तक आते-आते यह बजट करीब 11,500 करोड़ तक पहुंच गया। इसमें दिल्ली के विकास और सौंदर्यीकरण का बजट शामिल नहीं है। जानकार मानते हैं कि इस खेल के आयोजन और इससे जुड़े सौंदर्यीकरण पर करीब 70 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। इसमें दिल्ली में होने वाले विकास कार्य भी शामिल हैं। माना जाता है कि इस राशि में ज़्यादातर रकम घपले-घोटाले की भेंट चढ़ गई। इस मामले में जांच अब भी जारी है।
2 जी घोटाला : पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा पर आरोप है कि उन्होंने कम दाम पर 2 जी स्पेक्ट्रम का आवंटन कर सरकारी खजाने को करीब 1.76 लाख करोड़ रुपये की चपत लगाई है। यह रकम सीएजी के आकलन पर आधारित है।
एस बैंड स्पेक्ट्रम आवंटन: एस बैंड स्पेक्ट्रम के आवंटन में सरकार को करीब 2 लाख करोड़ रुपये का चूना लगने का अंदाजा है। यह भी सीएजी का आकलन है। इस मामले में सीएजी की रिपोर्ट पूरी नहीं हुई है। हालांकि, सरकार पिछले साल जुलाई में ही एस बैंड स्पेक्ट्रम के आवंटन रद्द करने का फैसला कर चुकी है। अभी समझौता आधिकारिक तौर पर रद्द नहीं हुआ है। यही दलील देकर सरकार घोटाले के आरोपों से बच भी रही है।
आदर्श हाउसिंग घोटाला: कारगिल शहीदों के नाम पर मुंबई के कोलाबा के पॉश इलाके में सोसाइटी के नाम पर जमीन आवंटित कराने के बाद करीब ३१ मंजिला इमारत खड़ी की गई। इसमें करीब १०३ सदस्य हैं। एक फ्लैट की खुले बाज़ार में औसत कीमत करीब ६ से ८.५ करोड़ है। इसे करीब दस फीसदी कीमत देकर करीब ६० से ८५ लाख रुपये में बुक कराया गया। इस तरह से पूरी इमारत की कीमत करीब ९.५ अरब रुपये के आसपास है, लेकिन इसके लिए महज ६० से ८५ करोड़ रुपये ही चुकाए गए। इस तरह ज़मीन के गलत इस्तेमाल के अलावा बाजार दर पर आवंटियों ने करीब ९ अरब रुपये का फायदा उठाया।
खाद्यान्न घोटाला: उत्तर प्रदेश में करीब 35,000 करोड़ रुपये का खाद्यान्न घोटाला २०१० में उजागर हुआ। दरअसल, यह अंत्योदय, अन्नपूर्णा और मिड डे मील जैसी खाद्य योजनाओं के तहत आने वाले अनाज को बेचने का है। यह घोटाला 2001 से 2007 के बीच हुआ था। राज्य में इन योजनाओं के तहत आवंटित चावल की भी कालाबाजारी की गई। कुछ अनुमानों के मुताबिक इस तरह 2 लाख करोड़ रुपये के वारे-न्यारे करने का आरोप है Source: dainikbhaskar
शनिवार, 5 मार्च 2011
सदस्यता लें
संदेश (Atom)